8TH SEMESTER ! भाग -3
"कौन है बे..."आवाज़ सुनकर मैं बौखलाया, लेकिन फिर ऐसे लगा जैसे कि मुझे निशा ने आवाज़ दी हो,...
"उसी ने बुलाया होगा..."मैने खुद से कहा और वहा से उठकर सीढ़ियो से उपर जाने लगा, मुझे निशा का बेडरूम मालूम था, इसलिए मैं सीधे वही पहुचा....
"निशा...."
"मैं अंदर हूँ बाथरूम मे..."
निशा की आवाज़ ने मेरा ध्यान बाथरूम की तरफ खींचा,
"इस वक़्त बाथरूम मे , क्या कर रही हो..."
" तुमने कुछ देर पहले मैला कर दिया था तो बस उसे सॉफ कर रही हूँ, यदि इच्छा हो तो आकर मदद कर सकते हो .."वो मुस्काई
"हां ,जैसे दुनिया की सारे काम ख़तम हो गये है , जो मैं अंदर आकर तुम्हे और तुम्हारी साफ करूँ..."
"फिर मेरा टॉवल बिस्तर पर पड़ा है , वो दो...."
मैने बिस्तर पर नज़र डाली, वहाँ टॉवल के साथ साथ निजी अंगों के भी वस्त्र रखे हुए थे.. जिनका कलर ब्लैक था...
"दो..."बाथरूम का दरवाज़ा पूरा खोलकर निशा ने मेरी तरफ अपना हाथ बढ़ाया, वो पूरी की पूरी पानी मे भीगी हुई मेरी साँसे बढ़ा रही थी
"अरे दो ना..."मुझे अपनी तरफ इस तरह से देखता हुआ पाकर वो बोली"इतने ध्यान से तो तुमने मुझे उस वक़्त भी नही देखा था, जब मैं तुम्हारे साथ पहली बार हमबिस्तर हुई थी..."
मैने कुछ नही कहा और उसके गोरे बदन को आँखो से नापते हुए उसे टॉवल दे दिया, और बिस्तर पर आकर लेट गया...एक बात जो मैं अक्सर सोचता कि दुनिया भर की लड़कियाँ बाथरूम मे जाते वक़्त टॉवल बाहर क्यूँ भूल जाती है....? कहा था ना... दारू पीने के बाद बड़े अजीब अजीब ख्याल आते है मुझे... ये भी उनमे से एक था.
"वो भी देना...."एक बार फिर बाथरूम से आवाज़ आई और बाथरूम का दरवाज़ा खुला,
"ये लो..."निशा के निजी अंगों के वस्त्र को बिस्तर पर पडे -पडे ही मैने उसकी तरफ उछाल दिया
"साइज़ मालूम है, इनका..."वो दरवाजे को पकड़ कर मस्ती मे बोली और जब मैने कुछ नही कहा तो वो बाथरूम का दरवाज़ा बंद करने लगी....
"निशा...वेट..."
"बोलिए जनाब..."
"जल्दी से बाहर आओ, तुम्हारे बिना चैन नही है..."मैं अपनी इस हरकत पर खुद शरमा गया.....
कुछ देर के बाद निशा बाहर आई, और मेरे बगल मे लेट कर मेरी तरह वो भी छत को देखने लगी...
"तुम सच मे शादी करने वाली हो..."निशा का एक हाथ पकड़ कर सहलाते हुए मैं बोला...वो अभी अभी नहा के आई थी ,जिसकी वजह से उसके पूरे जिस्म मे ठंडक थी....मेरे सवाल को सुनकर वो थोड़ा हैरान हुई और मेरी तरफ अपना चेहरा करके बोली
"ये तुम क्यूँ पुछ रहे हो, "
"बस ऐसे ही..."
"हां यार, सच मे शादी कर रही हूँ और आज की रात हम दोनो की आख़िरी रात होगी..."
"आख़िरी रात..."मैं खुद से बोला
"आख़िर तुम्हारे मन मे है क्या..."वो हैरान थी कि मैं अब क्यूँ उससे उसकी शादी के बारे मे पुछ रहा हूँ, जबकि पहली बार ही उसे मैने सॉफ मना कर दिया था, खैर.... हैरान तो मैं खुद भी था....की मै उससे ये क्यों पूछ रहा हूँ.
"तुम्हे मालूम है ना अरमान.. की तुम बहुत ही अजीब हो....लेकिन आज कुछ ज़्यादा ही अजीब हरकते कर रहे हो..."मैने उसका जो हाथ पकड़ रखा था वो उसे सहलाती हुई बोली, उसका चेहरा अब भी मेरी तरफ था....निशा को अक्सर ऐसा लगता कि दुनिया भर का सारा सस्पेंस, सारा रहस्य मेरे अंदर ही भरा पड़ा है....
"नही ऐसी कोई बात नही है, मैं तो बस ऐसे ही पुछ रहा था..."कोई तो बात थी जो मेरे अंदर खटक रही थी, ये मैं जानता था....
"अब सारी रात ऐसे ही बोर करोगे या फिर कुछ और भी करोगे ........"
वो आगे कुछ और कहती उसके पहले ही मेरे हाथ उसके जिस्म पर चलने लगे ...
"डाइरेक्ट पॉइंट पे... बहुत खूब "वो एक बार फिर मुस्कुराते हुए बोली...
हम दोनो एक दूसरे को देख रहे थे ,आज पहली बार वो मुझे बहुत ही खूबसूत दिख रही थी, दिल कर रहा था कि उसे चूम लूँ, लेकिन निशा को किस पसंद नही था... पता नही क्यूँ...
"तुम क्या सोच रहे हो..."वो मेरे हाथो की हरकत के कारण काँपती हुई आवाज़ मे मेरी तरफ देखकर बोली...जवाब मे मैने अपने दूसरे हाथ की उंगलियो को अपने होंठो पर रखकर इशारा किया कि मैं उसके होंठो को अपने होंठो मे भरना चाहता हूँ....मेरे इशारे से निशा थोड़ी असहज हुई और मुझे कुछ देर तक ना जाने क्या देखती रही.....
"Really, you want to do that ...???"अपने होंठ पे पर अजीब सी हरकत लाते हुए उसने मुझसे पुछा
"Yes, i want to kiss you ..."
मैने बस इतना कहा और वो मेरे होंठो के करीब आई, हम दोनो एक दूसरे की साँसे महसूस कर रहे थे, जो कि हम दोनो को और भी गरम कर रही थी....आज पहली बार निशा के लिए मेरे दिल मे कुछ फीलिंग्स आई थी और वो फीलिंग्स इसलिए थी क्यूंकी निशा आज मुझसे दूर जा रही थी, आज की रात हमारी आख़िरी रात थी, शायद इसीलिए वो मान भी गयी.....
"तुम सच मे बहुत अजीब हो..."मेरे होंठो को अपने होंठो से हलके से टच करके वो पीछे हट गई "but i like you "
और इसके बाद मैने समय ना गँवाते हुए उसके होंठो को भर लिया.......
"एक बात बताओ"मैं बोला"जब तुम्हे मालूम था कि मैं कुछ देर तुमको फिर से मैला करने वाला हूँ तो फिर तुम क्यों नहायी ..."
मेरे ऐसा कहने की देर थी कि वो खिलखिला के हंस पड़ी, और मेरे सर पर अपना हाथ फिराने लगी , मैं ये तो जानता था कि निशा के लिए मैं सिर्फ़ उसकी हवस मिटाने के हूँ,लेकिन आज वो कुछ बदली-बदली सी लग रही थी...उस पल जब उसने कहा कि
"आराम से ,दर्द होता है...."
तो मैं जैसे उस वक़्त उसका मुरीद हो गया, दिल चाहता था कि मैं बस ऐसे ही उसके उपर लेटा उसे प्यार करूँ और ये रात कभी ख़तम ना हो, दिल चाहता था कि कल की सुबह ही ना हो,लेकिन ये मुमकिन नही था....मेरे दिल मे निशा के लिए आज कुछ और ज़ज्बात थे, एक बार तो मेरे मन मे ख़याल भी आया कि कहीं मैं निशा से...........
नही ये हरगिज़ नही हो सकता, जिन रस्तो पर मैने चलना छोड़ दिया है तो फिर उन रस्तो से गुज़रने वाली मंज़िले मुझे कैसे मिल सकती है......
"अरमान, अब इस समय कहाँ खो गये, करो ना..."
"इतनी जल्दी भी क्या है निशा..."मैने बहुत ही प्यार से कहा, इतने प्यार से मैने आज से पहले कब किसी से बात की थी , ये मुझे याद नही.....
"जल्दी तो मुझे भी नही है, लेकिन अब बेचैनी सही नही जाती, अरमान ...."
"कुछ देर बात कर लेते है..."
"अरमान...आख़िर बात क्या है, सब कुछ सही तो है ना..."मेरे गाल पर हाथ फिराते हुए निशा पूछी
"हाँ ,सब ठीक है..."मैं निशा की तरफ देखते हुए बोला लेकिन मेरे दिल मे कुछ और ही था, मैं कुछ अलग ही सपने बुन रहा था.....
"आज फिर दिल करता है कि किसी के सीने से लिपट जाउ....
उसकी आँखो मे आँखे डालकर सारे गम पी जाउ....
हम दोनो रहे साथ हमेशा इसलिए...
दिल करता है कि उसकी तकदीर को अपनी तकदीर से जोड जाउ...."
मैं कुछ और भी कहना चाहता था निशा से... लेकिन उसने मुझे आगे बोलने का मौका ही नही दिया और बीच मे बोल पड़ी....
"फिर क्या बात है...जल्दी करो सुबह होने वाली है और फिर हम कभी एक साथ नही रहेंगे..."
साँसे रुक गयी थी ,जब उसने छोड़ जाने के लिए कहा.....
दिल ना टूटे मेरा इसलिए...
दिल करता है कि अपने दिल को उसके दिल से जोड़ जाउ.....
"कमऑन अरमान...व्हाट आर यू थिंकिंग ,वो भी अब "वो मुझे बिस्तर पर शांत पड़ा देख कर झुंझला उठी, तब मुझे अहसास हुआ कि निशा के लिए मैं अब भी सिवाय एक सेक्सुअल ऑब्जेक्ट के कुछ नही हूँ और उसके द्वारा कही गयी बातों का मैं 101 % ग़लत मतलब निकाल लिया था...मुझे बुरा तो लगा लेकिन साथ ही साथ अपनी भूल का भी अहसास हुआ और अपनी भूल को सुधारने के लिए मैं वापस निशा के उपर चढ़ा.....
"यस... अब आए ना लाइन मे..."वो बोली और मैने वैसा ही किया, मैने उसका सिर पकड़ा और उसे अपनी तरफ खींचा...... जिससे कि उसका चेहरा मेरे करीब आ गया , मैं उसकी हवस से भरी आँखो मे आख़िरी बार अपने लिए प्यार ढूँढ रहा था, लेकिन हुआ वही , मेरे अरमानो का हक़ीक़त से ना तो पहले कोई वास्ता था और ना ही अब था और जब मुझे यकीन हो गया कि वो वही पुरानी निशा है जिसने प्यार को हमेशा हवस की प्यास से नीचे समझा है, तो मैं उसको होंठो को अपने होंठो मे बुरी तरह जकड़ा....
"जानवर बन गये हो क्या..."मुझे तुरंत धकेल कर वो बोली और अपने होंठो को हाथ से सहलानी लगी....
"सॉरी..."मैं वापस उसके करीब आया
और एक बार फिर उसके होंठो को अपने होंठो मे बुरी तरह भर लिया...निशा ने इस बार भी पूरी कोशिश की मुझे दूर करने की, लेकिन वो इस बार नाकामयाब रही...लेकिन कुछ देर के बाद मुझे उसकी परवाह होने लगी, उसका दर्द मेरा दर्द बन गया, और मैने उसके गुलाबी होंठो को अपने होंठो से अलग कर दिया.
"डर्टी बॉय... आज आखिरी रात है, फिर तुम्हारी जगह कोई और होगा.. Hahaha."मेरी तरफ झुक कर मेरे कानो के पास आकर वो बोली.
दिल कर रहा था कि निशा का मर्डर कर दूं और फिर उसकी लाश के पास बैठकर ज़िंदगी भर रोऊ, दिल कर रहा था कि सामने की दीवार पर निशा का सर इतनी ज़ोर से दे मारू कि उसका सर ही ना रहे....वो मुझसे ऐसे बात कैसे कर सकती है , जबकि मैं उससे.......... और एक बार फिर दिल के अरमान हवस मे धूल गये, खैर ये मेरे लिए पहली बार नही था..... मेरे साथ ये पहली बार नही था.
"कमऑन अरमान, इंतजार कर रही हूँ मै......"अपनी कमर हिलाते हुई निशा बोली...
मैने अपने कपड़े उतारे और निशा की कमर को पकड़ कर फिर से रास लीला मे व्यस्त हो गया... और जब ये रासलीला ख़त्म हुई तो मै वही, उसी कमरे मे सो गया... फिर सुबह....
"मैं चलता हूँ..."बाथरूम से निकल कर मैने अपने कपड़े पहने...
"जाओ, एंड टेक केयर .."
मैं इस इंतज़ार मे अब भी खड़ा था कि कही शायद उसे मेरी आँखो मे कुछ ऐसा दिख जाए, जिससे वो मुझे दौड़ कर गले लगा ले, लेकिन ऐसा नही हुआ, यहाँ तक कि उसने मेरी आँखो की तरफ देखा तक नही, उसकी नज़र अब भी मेरे कमर के नीचे वाले हिस्से पर थी, वो उसे देख मुस्कुरा रही थी.....
"तुम्हारा होने वाला पतिदेव क्या करता है...?."
"तुम क्यूँ पूछ रहे हो..."
"जनरल नॉलेज के लिए, क्या पता ये सवाल IAS की परीक्षा मे आ जाए "
"इट्स नॉट फनी... ओके...अरमान...तुम जाओ, और आज के बाद समझ लेना कि हम एक दूसरे से कभी मिले ही नही..."
मैने एक झूठी मुस्कान से निशा को देखा और बोला..."तन्हाई मे जीने वाले लोगो को अक्सर उनके छोटे से छोटे सहारे से इतनी मोहब्बत हो जाती है कि वो उनके लिए खुद को मिटा दे.....यदि तुम्हे कभी किसी से प्यार हो तो मेरी बात पर गौर करना ,वरना लोग तो अपनो को पल भर मे भूल जाते है , मैं तो वैसे भी तुम्हारे लिए गैर हूँ...."
निशा के मन मे हज़ारो सवाल छोड़ कर मैं उसके घर से सीधे बाहर निकल गया, मैं अपने ही रूम की तरफ आ रहा था कि वरुण ने मुझे कॉल किया ...
"क्या भाई, आने का विचार है या उसी के साथ चिपके रहेगा..."मैने कॉल रिसीव की तो वरुण ताने मारता हुआ बोला...
"बस रूम पर ही आ रहा हूँ..."
"जल्दी आ, तेरे लिए सर्प्राइज़ है, और वो सर्प्राइज़ इतना बड़ा है कि , तू...."
मैं जहाँ था वही खड़ा हो गया और वरुण से बोला"क्या है वो सर्प्राइज़..."
"ह्म्म....तो पहले रूम पे ही आजा,.."और उसने कॉल डिसकनेक्ट कर दी
shweta soni
21-Jul-2022 01:41 PM
Bahot badiya 👌
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Sana Khan
05-Dec-2021 08:16 AM
Good
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Chirag chirag
02-Dec-2021 06:03 PM
Nice written
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